सहकारिता आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के मुद्दे पर अपनी लंबी चुप्पी को तोड़ते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार समाज के असहाय निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए प्रयास कर रही है। Adarsh Credit तोमर ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित हिंदी अखबार पत्रिका के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “Adarsh Credit सहकारी समिति परिसमापन में चली गई है। ऐसी परिस्थितियों में जब परिसमापक नियुक्त किए जाते हैं तो वे नियम और विनियमों के अनुसार काम करते हैं। सभी को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि उनका पैसा वापस मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सभी हितधारकों को पैसा लौटाने की कोशिश कर रहा है। इस सवाल का जवाब देते हुए कि सरकार आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के निवेशकों को राहत क्यों नहीं दे रही है, तोमर ने कहा, “एक सरकार अपने दम पर नहीं चलती है, सरकार कानून से चलती है। जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो एक समाज में प्रशासकों की नियुक्ति की जाती है। सरकार इस मामले पर नजर रख रही है और निवेशकों के पैसे वापस करने का प्रयास किया जाएगा। आदर्श क्रेडिट पीड़ितों ने पीएम मोदी सहित सभी को याचिका दी है इससे पहले, भारतीय सहकारिता ने इन स्तंभों में बताया कि कोरोनावायरस का प्रकोप उन लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई को सहकारिता में निवेश किया था। मौजूदा स्थिति में, निवेशकों के लिए दोनों सिरों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। कई निवेशकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने और परिसमापक को हटाने और क्रेडिट कोऑपरेटिव को विनियमित करने के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने का आग्रह किया। इस बीच, उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर “आदर्श आदर्श क्रेडिट बचाओ” अभियान शुरू किया है। राजस्थान के सिरोही में शुरू, Adarsh Credit हरियाणा और गुजरात के लिए अहमदाबाद में मुख्यालय के साथ बंद हो गया। सत्तर प्रतिशत से अधिक निवेशक राजस्थान के हैं। आदर्श क्रेडिट के सह-चेयरमैन मुकेश और उनके परिवार के सदस्यों पर कथित तौर पर पोंजी स्कीम चलाने और कई फर्जी कंपनियों को चालू करने का आरोप है, जिसमें उन्होंने 8400 करोड़ रुपये निकाल लिए। आदर्श क्रेडिट सोसाइटी में 8 वर्षों में 20 लाख लोगों ने 14,682 करोड़ रुपये का निवेश किया। आदर्श सोसाइटी लिमिटेड के मामले में समझौता आदेश आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के खिलाफ एक और केस दर्ज: बॉड की मैच्योरिटी होने के बाद अब पीडित कार्यालय पहुंचा तो वहां पर ताला मिला। आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि प्रबंधन काफी पहले रातों रात ही ताला बंद कर फरार हो गया। आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के खिलाफ एक और केस दर्ज जयपुर कम समय में लोगों को रुपया दो गुना, तीन गुना तक करने का लालच देने वाले #Adarsh-credit आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमा जयपुर #jaipur-Police के कोतवाली थाने में दर्ज कराया गया है। आरोप है कि बॉड की मैच्योरिटी होने के बाद अब पीडित कार्यालय पहुंचा तो वहां पर ताला मिला। आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि प्रबंधन काफी पहले रातों रात ही ताला बंद कर फरार हो गया। जांच कर रही पुलिस ने बताया कि चौड़ा रास्ता निवासी हितेश जैन ने साल 2018 में सोसायटी की एक स्कीम में लाखों रुपए जमा कराए थे और ये रुपए इस साल अगस्त के महीने में ब्याज और अन्य लाभ के साथ वापस लौटाए जाने थे। लेकिन वहां पहुंचने पर पता चला कि कंपनी रातों रात ही फरार हो गई। बाद में थाने पहुंचे तो एक बार तो थाने ने भी टकरा दिया। बाद में कोर्ट की मदद से कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। गौरतलब है कि कंपनी के खिलाफ कुछ महीनों पहले एसओजी और एटीएस की टीम ने राजस्थान समेत कई राज्यों में एक साथ एक्शन लिया था। कंपनी के प्रबंधन के करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगों को पकडा गया था। हांलाकि कुछ ही महीनों में एक दो को छोड़कर सभी की जमानत हो गई थी। उसके बाद कंपनी में काम करने वाले और कंपनी के एजेंट कई बार पुलिस और सरकार के प्रतिनिधियों से मिले लेकिन उनकी अटकी हुई रकम के बारे में अभी तक किसी तरह का फैसला नहीं हो सका। बीस हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का यह पूरा मामला बताया जा रहा है।Source: https://korbanews.co.in/, 60 दिनों में परिसमापक करें मामले का निराकरणः हाई कोर्ट 14 हजार करोड़ के गबन का मामला:आदर्श घाेटाले के 11 आरोपियों काे जयपुर जेल से गिरफ्तार कर लाई खांडा फलसा पुलिस बिलासपुर। हाई कोर्ट में आदर्श क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी बैंक द्वारा उपभोक्ताओं की जमा राशि लौटाने के मामले में याचिका दायर की गई है। इसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के बैंकिंग रजिस्ट्रार व परिसमापक को 60 दिनों में प्रकरण का निराकरण करने का आदेश दिया है। निलिमा ताम्रकार समेत अन्य ने अधिवक्ता विवेक कुमार अग्रवाल के बिलासपुर। हाई कोर्ट में आदर्श क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी बैंक द्वारा उपभोक्ताओं की जमा राशि लौटाने के मामले में याचिका दायर की गई है। इसकी सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के बैंकिंग रजिस्ट्रार व परिसमापक को 60 दिनों में प्रकरण का निराकरण करने का आदेश दिया है। निलिमा ताम्रकार समेत अन्य ने अधिवक्ता विवेक कुमार अग्रवाल के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि वे दुर्ग व भिलाई के आदर्श के्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी बैंक में 2015 से रकम जमा कर रहे थे। बैंक की शाखा राज्य के सभी जिलों में चल रही थी। साथ ही बैंक में ब्याज ज्यादा था। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने अपनी जिंदगीभर की कमाई फिक्स डिपाजिट, आरडी और सेविंग सहित अन्य मदों में जमा कर दी। अचानक 2019 में बैंक की ब्रांच बंद हो गई। इसके चलते सभी उपभोक्ताओं की जमा रकम बैंक में फंस गई। शिकायत होने पर केंद्रीय बैंकिंग रजिस्ट्रार ने बैंक की संपत्ति को सीज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने 15 मई 2020 को एक आदेश निकाल कर खातेदारों की दावा राशि देने के लिए परिसमापक नियुक्त किया। इस बीच खातेदारों ने अपनी जमा राशि जल्द से जल्द वापस दिलाने की मांग की। लेकिन रकम नहीं लौटाई गई। हाई कोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकलपीठ में सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त परिसमापक एचएस पटेल व केंद्र सरकार के बैंकिंग रजिस्ट्रार को 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं के प्रकरणों का निराकरण करने का आदेश दिया है। Source: Article IC Exclusive: Adarsh Liquidator cannot act due to ED attachment: H S Patel, the man who is at the centre of attention of lakhs of depositors of the beleaguered Adarsh Credit Co-operative has talked to Indian Cooperative explaining the challenges being faced by him in doing justice to the job on hand-that is an amicable resolution of the dispute of Adarsh Credit Cooperative Society. Because of account freezes and properties attached by several probe agencies, H S Patel, IAS (Retd.), who had been appointed as the liquidator in the beleaguered Adarsh Credit Cooperative Society finds himself helpless to pay back the money of gullible investors. In a telephonic communication with Indian Cooperative correspondent Patel said, “I find difficulty in winding up of fraudulent Adarsh Credit Co-operative because Enforcement Directorate and other probe agencies have attached properties and frozen accounts of the society. Due to this I am unable to sell/auction properties to pay back the money of investors”, he added. “Three months back I had written a letter to the concerned authorities including Central Registrar, Secretary of Ministry of Corporate affairs and others for releasing the attached properties but I am still waiting for the response from the authorities”, Patel said. He further said when the government of India releases the attached properties only then can I act. Nothing can be done prior to this as I am helpless. Earlier, in an interview given to one of the leading Hindi Daily newspapers, Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar claimed that the liquidator is appointed and he is doing his work according to the rules and regulations. However, the reality on the ground is just the opposite: the liquidator finds himself helpless about paying back the money of investors. It bears recall that last year in October, ED had attached the properties worth Rs 1,489 crore of Adarsh Credit Co-op Society. Meanwhile, helpless depositors urged the central government to remove the liquidator and appoint a regulator to take care of the credit cooperative. They have also demanded an immediate relief package of Rs 5k crore. Mukesh Modi the founder chairman of Adarsh Adarsh Credit Co-op and his family members are alleged to have run Ponzi schemes and floated several fake companies to which they diverted Rs 8400 crore. Due to their mismanagement, gullible investors are forced to run from pillar to post to get back their hard-earned savings. They have also met Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar and have also submitted a memorandum at PMO. Beginning in Sirohi in Rajasthan, Adarsh Credit branched off to Haryana and Gujarat with its headquarters in Ahmedabad. More than seventy percent of investors are said to belong to Rajasthan. Twenty lakh people invested Rs 14,682 crore over 8 years in Adarsh credit society.Source: https://www.indiancooperative.com/ 3 कोऑपरेटिव सोसाइटियों में 17 हजार करोड़ का फ्रॉड, एक संचालक की बेटी की सैलरी मुकेश अंबानी से भी 75 लाख रुपए ज्यादा
जयपुर (बाबूलाल शर्मा/राजेंद्र गौतम). आदर्श क्रेडिट सोसाइटी ने 8 साल में 20 लाख लोगों से 14682 करोड़ निवेश करवाए। संचालक मुकेश मोदी की पत्नी मीनाक्षी और बेटी प्रियंका के खातों में बतौर सैलरी-कमीशन के 795 करोड़ रु. ट्रांसफर हुए। पूरे परिवार की बात करें तो 990 करोड़ रु. आपस में बांटे गए। हैरानी वाली बात यह है कि प्रियंका को 3 साल में 75 करोड़ रु. वेतन दिया गया। यानी हर माह करीब दो करोड़ रुपए, जबकि देश के सबसे अमीर उद्योगपति रिलायंस ग्रुप के प्रमुख मुकेश अंबानी को हर माह करीब 1.25 करोड़ रु. मिलते हैं। एसओजी ने राजस्थान की ऐसी 3 क्रेडिट सोसाइटियों आदर्श, संजीवनी और नवजीवन क्रेडिट सोसाइटी के खिलाफ चार्जशीट पेश की है। भास्कर टीम ने करीब 17 हजार करोड़ का घोटाला करने वाली इन 3 क्रेडिट सोसाइटियों के खिलाफ दायर कुल 96 हजार पेज की चार्जशीट खंगाली तो पता चला कि कैसे जनता का पैसा हड़पने के लिए चालें चलीं। आदर्श क्रेडिट सोसाइटी ने 28 राज्यों में 806 शाखाएं खोलीं, इनमें से 309 राजस्थान में थीं। लोगों को झांसा दिया कि उनकी निवेश की हुई रकम कंपनियों व लोगों को 22% की ऊंची ब्याज दर पर लोन के रूप में दिया जा रहा है। इस झांसे में आकर 8 साल में 20 लाख लोगों ने 14800 करोड़ रुपए का निवेश सोसाइटी में किया। इनके संचालकों ने रिश्तेदारों के नाम पर ही 45 फर्जी कंपनियां खोलीं और सोसाइटी में निवेश की गई रकम में से 12414 करोड़ रुपए इन्हीं फर्जी कंपनियों को बतौर लोन देना दर्शा दिया। सोसाइटी में लगे लोगों के पैसे से संचालकों ने पूरे देश में संपत्ति खरीदी। आदर्श के निदेशकों की तनख्वाह मुकेश अंबानी से ज्यादा देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट समूह माने जाने वाले रिलायंस ग्रुप के प्रमुख मुकेश अंबानी ने अपनी सालाना तनख्वाह 15 करोड़ फिक्स कर रखी है। यानी महीने के 1.25 करोड़ रुपए। उनके बोर्ड में वर्ष 2018-19 में सबसे ज्यादा तनख्वाह पाने वाले निदेशकों को भी सालाना 20.75 करोड़ रुपए मिले। जबकि आदर्श क्रेडिट सोसाइटी में काम कर रही संचालक मुकेश मोदी की पुत्री प्रियंका को तीन साल में 75 करोड़ रुपए बतौर तनख्वाह दिए गए। यानी प्रतिमाह 2 करोड़ रुपए। वहीं मुकेश मोदी के बेटों व अन्य निदेशकों को तीन साल में बतौर तनख्वाह 270 करोड़ रुपए दिए गए। यही नहीं, संचालक की पत्नी मीनाक्षी को तीन साल में लोन के कस्टमर लाने के नाम पर बतौर कमीशन 720 करोड़ का पेमेंट किया गया। यह देश का सबसे बड़ा कोऑपरेटिव क्राइम एसओजी की अपराध शाखा के प्रमुख सत्यपाल मिड्ढा के मुताबिक, आदर्श क्रेडिट साेसायटी घोटाले में 20 लाख निवेशकों के साथ धोखाधड़ी हुई है। मुझे लगता है कि यह देश का सबसे बड़ा कोऑपरेटिव क्राइम है। चिंताजनक यह है कि संचालक, उनकी पत्नी और बेटी के खातों में ही बतौर वेतन और कमीशन के 790 करोड़ जमा करा लिए गए। 45 फर्जी कंपनियां बनाकर घाेटाला किया गया। आदर्श क्रेडिट सोसाइटी: 20 लाख निवेशक 40 हजार पेज की चार्जशीट 14682 करोड़ का घोटाला संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी: 2 लाख निवेशक 37 हजार पेज की चार्जशीट 1100 करोड़ का घोटाला नवजीवन क्रेडिट सोसाइटी: 1.9 लाख निवेशक 19 हजार पेज की चार्जशीट 500 करोड़ का घोटाला 19 प्रकरणाें में 2 साल से थे वांछित 5 दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही पुलिस देशभर में 14 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करने वाली आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े 11 आरोपियों को खांडा फलसा पुलिस जयपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर जोधपुर लाई है। इन सभी को रविवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिन के रिमांड पर लिया गया। खांडा फलसा थाने में सोसायटी के खिलाफ 19 प्रकरण दर्ज है, जो पिछले दो सालों से लंबित है। फिलहाल इन मामलों को लेकर सभी से पूछताछ की जा रही है। थानाधिकारी दिनेश लखावत ने बताया कि चौहाबो सेक्टर-17 निवासी ललित कुमार व्यास ने सबसे पहले वर्ष 2019 में आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके बाद 18 और प्रकरण दर्ज किए गए। मामले में काफी लोगों को एसओजी ने गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। अब प्रकरणों की जांच के लिए पुलिस को आदेश जारी हुए है। इस पर 11 आरोपियों को जयपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया गया। इन्हें गिरफ्तार कर लाया गया सोसायटी से जुड़े सुनारवाड़ा सिरोही निवासी समीर पुत्र भरत मोदी, भरत पुत्र देवीचंद मोदी, देवनगरी सिरोही निवासी विवेक पुत्र प्रकाशचंद्र पुरोहित, मोदी लाइन सिरोही निवासी रोहित पुत्र वीरेंद्र मोदी, आदर्श नगर रोड सिरोही निवासी भरतदास पुत्र मानदास वैष्णव, वैशालीनगर जयपुर निवासी राजेश्वरसिंह पुत्र महावीरसिंह, भगत की कोठी जोधपुर निवासी वैष्णव पुत्र दिनेश कुमार लोढ़ा, सोसायटी के अध्यक्ष आदर्श नगर सिरोही निवासी ईश्वरसिंह सिंदल पुत्र रणजीतसिंह, वीरेंद्र पुत्र प्रकाशराज मोदी, बांद्रा मुंबई निवासी प्रियंका पत्नी वैभव मोदी और गोरा छपरा माउंटआबू निवासी ललिता पुरोहित पुत्री हिम्मतसिंह राजपुरोहित को जयपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया गया।Source: https://www.bhaskar.com/ आदर्श क्रेडिट के एमडी राहुल और संरक्षक मुकेश माेदी प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार अंबामाता थाना पुलिस जयपुर जेल से लाई, सुखेर-सूरजपाेल में भी दर्ज हैं धाेखाधड़ी के केस आदर्श क्रेडिट काे-ऑपरेटिव साेसायटी के एमडी राहुल माेदी और संरक्षक मुकेश माेदी काे अंबामाता पुलिस ने जयपुर जेल से प्राेडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया है। पूछताछ कर शुक्रवार काे काेर्ट के आदेश पर दोनों को वापस जेल भेजा गया। इनके खिलाफ सुखेर और सूरजपाेल थाने में भी धाेखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हैं। अब दाेनाें थाना पुलिस भी प्राेडक्शन वारंट से पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर सकती है। अनुसंधान अधिकारी सुल्तान सिंह ने बताया कि 10 सितंबर 2019 काे ओमप्रकाश उपाध्याय, दया भटनागर और मंजू डांगी ने दाेनाें अभियुक्ताें के खिलाफ रिपाेर्ट दर्ज कराई थी। उन्हाेंने बताया था कि फतहपुरा स्थित आदर्श क्रेडिट काॅ-ओपरेटिव कार्यालय में निवेश कर एफडी कराई थी। एफडी परिपक्व की स्टेज पर थी ताे कार्यालय पहुंचे ताे बंद मिला। दाेनाें अभियुक्ताें ने 9.60 लाख रुपए की धाेखाधड़ी की। सुल्तान सिंह ने बताया कि रिपाेर्ट दर्ज हाेने के बाद अनुसंधान शुरु किया था। पता चला था कि एसओजी जयपुर ने दाेनाें अभियुक्ताें काे गिरफ्तार किया था। रिकाॅर्ड देखे ताे पता चला कि आदर्श क्रेडिट काॅ-ओपरेटिव साेसायटी का यूआईटी पुलिया स्थित एक्सिस बैंक में खाता है। कार्यालय में जाे भी एफडी के रूप में राशि जमा कराते थे ताे वह राशि एक्सिट बैंक के खाते में आती थी। इस राशि काे अहमदाबाद उस्मानपुरा स्थित हेड ऑफिस में राशि लाते थे और फिर अलग-अलग जगहाें पर जमीन खरीद निवेश करते थे। 15 राज्याें में वांटेड है दोनों दाेनाें अभियुक्त धाेखाधड़ी के मामलाें में 15 राज्याें में वांटेड है। इन्हाेंने कई जगहाें पर निवेश कर राशि नहीं लाैटाई और उस राशि का उपयाेग जमीनें खरीदने में किया। इनके खिलाफ सूरजपाेल और सुखेर थाने में भी मुकदमे दर्ज है। अंबामाता थाने में परिवादियाें की साझा रिपाेर्ट दर्ज की थी। Source: https://www.bhaskar.com/ Corona to Marona! Depositors of Adarsh demand Rs 5000 cr package Social media is flooded with posts of helpless depositors of the beleaguered Adarsh Credit Cooperative, which demand, among other things an immediate relief package. In the name of investigation, it is not appropriate to leave 21 lakh members to die of starvation, the campaign stresses. “Nearly Rs 17000 crores were deposited by the members of the institution, in lieu of that only a relief package of Rs 5000 crores should be given, remaining amounts could be recovered by selling the properties of the society”, depositors show the way out. “Nearly 4500 employees are starving due to the non-payment of wages. Nearly 5 lakh agents’ families are starving. Innocent employees and agents are being persecuted’, wails the posts. ”Our Prime Minister has emerged as the world’s number one leader due to Corona. The corona will be over in a few days, but we have been reduced to the status of marona (must die). We see a world leader in Modi and appeal to him to save us”. Currently under liquidation, Adarsh depositors have preferred the role of Administrator who can get them their deposits sooner than later. They demand that the Central registrar should order state and district level registrars to appoint administrators wherever Adarsh Credit Co-op Banks have failed. This way, at least the process of recovery would be put in place, they argue. The tragedy is that even the recovery from those who took loans from the society has stopped. The money belongs to the general public numbering lakhs, who are condemned to penury. “Many people committed suicide, a few have suffered heart attack, someone’s marriage has broken up while someone could not pursue higher education, some even lost life without treatment”, the social media posts read. In one such post, being tweeted and retweeted, the depositors say that “Since the interest rate of the banks has been reduced, people gravitate towards cooperative societies as they offer them high interest on their deposits. They also say that even Adarsh Credit Cooperative Society had been giving good interest and employment to people for almost 20 years. Nearly 21 lakh people paid dividends at the rate of 16 percent. In the whole country, above 400 of its branches were working successfully. “Justice received late is also an injustice. Please share it as much as possible and reach the Central Government”, goes on the campaign. Source: https://www.indiancooperative.com/ Adarsh: Patel writes to EPF Commissioner on his helplessness Liquidator H. S. Patel, tasked with the job of resolving the issues of the beleaguered Adarsh Credit Cooperative Society, has expressed his helplessness in the matter of EPF of employees of Adarsh Credit Co-operative. Replying to a query from the Regional Commissioner of Jodhpur, Employee Provident Fund Organization on disbursement of EPF of Adarsh society employee, Shri Patel, through a letter says “Since there is no actual functioning of office all this HR / EPF related record is with the IT system, so it is not possible to respond to your query of respective employees.” Excerpts of the letter follows: To. The Regional Commissioner Employee Provident fund organisation, Ministry of Labour and Employment, 130, Paschim Pal – Vistar Yojna, Jodhpur – Rajasthan Sub – Issues related to disbursement of EPF of Adarsh Credit Society employee Sir, Please refer to your Letter No. RJ / Jodh / L-S-002 / 10620 / 30 dated 30/5/2020 regarding the complaint in disbursement of EPF of Adarsh Credit Society employee. In this regard it is stated that this society is placed under Liquidation by the central registrar of co-op societies Govt of India and since then, there is no business transaction with respect to ACCSL and at present there is no actual functioning of office and all this HR / EPF related record is with the IT system and at present the whole system is not operational, so it is not possible to respond to your query of respective employees. But as a part of disbursement, since the whole procedure is online with EPF authorities and as per the guidelines, EPF can be disbursed on the basis of employees application I am also getting a number of complaints about authentic EPF record to authorities, but during their service some of the employees did not comply with the KYC norms but in the present situation, as regards the change of name or discrepancy in name or father’s name, all this can be verified by relevant documents like school leaving documents , Aadhar, Voter Certificate etc to ascertain the correctness of applicant’s genuineness, secondly notarised affidavit can be obtained from respective employees and it can be considered for disbursing the EPF based on his undertaking. So as to resolve the issue. In view of the above, it is requested to take appropriate decisions in the absence of a non-functioning office and a computerised system of ACCSL. This letter is issued so as to redress the complaint in disbursement of EPF to ACCSL employees. Thanking you Yours Faithfully, H. S. Patel IAS (Retd.) Liquidator Adarsh Credit: Who will help Vijayawada Ajayababu: Respected sir, My name is V Ajayababu and I am working in Adarsh Credit Cooperative Society Limited at Vijayawada Benz circle branch. Here payments are not coming from the company as the entire management is in jail. I do not know what to do as depositors are coming to my home and asking for their amounts. More than 21 lakh members, 4 lakh advisors and 4000 staff have been struggling here for the last two years. All their basic existential needs such as house rents, medical expenses, children’s education fees and daily expenses go unanswered as the money is blocked. The company was registered with the Union Agriculture Ministry and it started in the year 1999 under the multistate cooperative society act. Kindly ensure your support and help the innocent people. Rgds Ajayababu Varela Vijayawada AP Source: https://www.indiancooperative.com/ The gullible investors of the beleaguered Adarsh Credit Cooperative Society are trying to take their money back which has been stuck in the society for the past several years. On several occasions, they submitted memorandums to respective district magistrates but had been to no avail. Hoping against hope, once again the investors of the society handed over a memorandum to the SDM in Nathdwara town in Rajsamand district of Rajasthan last week. In the memorandum the poor investors have demanded their hard-earned money back. It is worth recalling that due to the non-payment of money, several investors have committed suicide. Source: https://www.indiancooperative.com/ Assets Worth 1500 Crores Attached In Adarsh Cooperative Society Case New Delhi: The ED has attached immovable and movable properties worth whopping ₹ 1489 crores in connection with embezzlement of public deposits by Adarsh Credit Cooperative Society Limited (ACCSL), the agency said on Monday. The properties include land and building valued at ₹ 1464.76 crore and fixed deposits/balance in various bank accounts of ₹ 24.44 crore approximately belonging to Adarsh Group of Mukesh Modi, Virendra Modi and his family; Riddhi Siddhi Group of Mahendra Tak, Saurabh Tak and properties of other accused, it said. The Enforcement Directorate ( ED) found these properties -- in Rajasthan, Haryana, New Delhi, Gujarat, Maharashtra and Uttar Pradesh -- involved in the offence of money laundering and provisionally attached them under the Prevention of Money Laundering Act, 2002 (PMLA). The agency had initiated investigation on the basis of an FIR lodged in December, 2018 under relevant provisions of the IPC by the Special Operation Group, Rajasthan Police for the offences of cheating, criminal breach of trust, forgery of valuable security and criminal conspiracy against Mukesh, Rahul Modi and others of Adarsh Group, officials of ACCSL and other persons. The FIR was registered on the basis of a complaint of various investors against Mukesh, Rahul and others for not returning their money invested in Adarsh Credit Cooperative Society Limited on maturity. The probe conducted so far under the PMLA revealed that Mukesh, in collusion with his relatives Virendra, Rahul and other associates, siphoned off depositors'' funds from ACCSL by way of inter linked fraudulent transactions. Source: https://www.ndtv.com/ Rajasthan: आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने पर हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट Adarsh Credit Cooperative Society scam धोखाधड़ी कर आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों की राशि हड़पने के मामले में पुलिस जांच की रिपोर्ट तलब की गई है। जोधपुर, संवाद सूत्र। Adarsh Credit Cooperative Society scam: लाखों लोगों की जमा पूंजी के साथ धोखाधड़ी कर आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों की राशि हड़पने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने पुलिस जांच की रिपोर्ट तलब करवाई है। जोधपुर में आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के विरुद्ध सुरेन्द्र कुमार पुरोहित द्वारा एकलपीठ में मामले में ग्यारह माह बीत जाने के बाद में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर आपराधिक फौजदारी याचिका दर्ज करवाई गई। जिस पर सुनवाई करते हुए जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीपति मनोज कुमार गर्ग नेे फेक्चुअल रिपोर्ट मंगवाई है। आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी से जुुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले से जुड़े इस मामले में अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। जोधपुर, कुड़ी भगतासनी निवासी सुरेन्द्र कुमार पुरोहित की ओर से अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे की ओर एकलपीठ फौजदारी विविध याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें की एफडी के संबंध में आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के कर्मचारियों व एजेंटों द्वारा याचि से संपर्क कर, अत्यधिक धनलाभ होने का भरोसा व विश्वास जताकर, एफडी करवाई गई। सुरेन्द्र कुमार पुरोहित ने आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में 2,50,000- रुपये व 2,00,000 रुपये की अलग-अलग की एफडी दिनांक 26 जुलाई, 2017 व 28 अक्टूबर, 2018 को करवाई, जिसकी कुल परिपक्वता राशि 5,48,500 रुपये थी, लेकिन जब उसे ज्ञात हुआ कि आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में करोड़ों-अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है, तब इस संबंध में शाखा में बातचीत की, परन्तु किसी ने कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया। एफडी परिपक्वता से पूर्व राशि लौटाने की प्रार्थना करने पर भी राशि नहीं दी गई। इस पर कानूनी नोटिस भी भिजवाया गया, परन्तु उसका भी जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद पुलिस कमिश्नर जोधपुर को परिवाद देने पर भी एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई। इसके पश्चात पीड़ित की ओर से जोधपुर महानगर न्यायिक मजिस्ट्रेेट के समक्ष धारा 406, 420, 467, 468, 469, 470, 471, 506 व 120 बी आइपीसी के तहत परिवाद पेश किया गया, जिसमें आदर्श कोऑपरेटिव के संचालक मंडल के मुकेश मोदी, राहुल मोदी, विवेक हरिव्यासी, ललिता राजपुरोहित, जुगल किशोर छंगाणी, डायरेक्टर, प्रबंधक, संस्थापक सदस्य, शाखा प्रबंधक, एजेन्ट व अन्य के विरुद्ध आरोप लगाए गए थे। जिस पर अदालत ने मूल परिवाद को बासनी थाना को भेज जांच कर 13 दिसंबर, 2019 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। लेकिन मामले में 11 माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस द्वारा जांच पेश नहीं की गई। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के प्रभाव में पुलिस स्वतंत्र व निष्पक्ष अनुसंधान नहीं कर रही है, न ही उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई कर रही है, न ही अनुसंधान कर रही है, न ही जांच रिपोर्ट अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत कर रही है। इस कारण याचिकाकर्ता ने मजबूर होकर, आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई में तत्काल जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर कार्रवाई करने के लिए याचिका प्रस्तुत की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रवीण दयाल का पक्ष सुनकर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा फेक्चुअल रिपोर्ट मंगवाने का आदेश पारित किया गया है। मामले में आगामी सुनवाई दिनांक 24 सितंबर को होगी। Source: https://www.jagran.com Devil and Deep Blue Sea: Adarsh Credit employees are worried! We have heard a lot about depositors woes connected to Adarsh Credit Co-operative Society Ltd, Ahmedabad. But the pain is not restricted to them alone. Several employees also write to us detailing their tale of woes. Caught between no-salary and customers’ anger they are also a helpless lot. Additionally, the head office of Adarsh Credit Co-operative does not give them any information about the ground situation. Though we cannot publish them all, here is one specimen written by one of the employees. We are withholding his name for the sake of his well-being but his tale of woes finds reverberations in many of the employees of the beleaguered credit co-op-Editor His letter follows Dear Sir On behalf of the employees from Adarsh Credit Co-operative Society Ltd, Ahmedabad, I want to ask some questions. It’s a double whammy for us. On the one hand due to non-payment of salaries, employees are quitting and on the other customers are pressuring us in ways more than one like lodging police complaints and dragging us into legal cases. Misbehavior with us is the order of the day at the hands of irate customers. Staff members are not in a position to revert to matters such as maturity of the deposits or payment matters as all investment and payments are controlled by the Central Office, Ahmadabad. They do not update us and have left us at the mercy of angry depositors. Sir, I have a few queries related to our future
I have resigned from my position but still society’s management has not updated me about acceptance and clearance of F&F settlement. Please guide us as employees are facing lots of problems and there is no one here to understand the situation and help us out. Regards An employee of Adarsh Credit Our expert Mr I C Naik replies Fixed deposits are contracts between Depositor and Organization accepting the deposits. The organization and not its employee is a party to this contract. The employee has no contractual obligation to Depositors. Police cannot interfere in contractual relationship between employees and Credit Society. No Court will recognize any police action against employees. For not Credit Society paying salary there are three legal courses open.
In a press release dated 29th November, 2019 the govt agency quotes “It has appointed a Liquidator for the purpose under the provisions of the MSCS Act, 2002 (& Rules made thereunder) today.” The release adds “The Adarsh Credit Cooperative Society Ltd., Second Floor, 14 VidyaVihar Colony, Opposite Hotel Fortune Landmark, Usmanpura, Ahmedabad-380013, Gujarat has been found to indulge in misusing the funds of the members/ depositors for personal gains, indulged in gross irregularities and has violated Cooperative Principles.” Earlier, the ED had officially taken Adarsh Credit Cooperative Society’s properties worth Rs 1,489 crore for swindling money from public deposits. The properties are land and buildings and Adarsh Group’s fixed deposits/balance in various bank accounts. The Rajasthan Economic Offence has already filed a charge-sheet which found Modis guilty of fraud and forgery and duping lakhs of helpless investors of their hard-earned money. The charge sheet runs into forty thousand pages. It has named more than a dozen people accused as of now (mostly related to Mukesh Modi-the kingpin). The investigators found link between the statements of investors with the entries of seized computers. “There is ample evidence of diversion of funds”, they alleged. Beginning in Sirohi in Rajasthan, Adarsh Credit branched off to Haryana and Gujarat with its headquarters in Ahmadabad. More than seventy percent of investors are said to belong to Rajasthan. The founder chairman of Adarsh Credit Co-op Mr Mukesh and his family members are alleged to have run Ponzi schemes and floated several fake companies to which they diverted Rs 8400 crore. Source: https://www.indiancooperative.com/ The Serious Fraud Investigation Office (SFIO) revealed in its report that the Ahmedabad-based Adarsh Credit Cooperative Society had purchased fabric worth Rs 225 crore for suits. The SFIO is probing into the alleged Rs 9000 crore scandal, involving the Ahmedabad-based cooperative society controlled by Mukesh Modi and his family. Source: https://economictimes.indiatimes.com/ 2 more complaints against Adarsh Credit Cooperative Society: A father and daughter duo have filed a case of fraud against the infamous Adarsh Credit Cooperative Society.As per the complaint, the father-daughter duo invested crores of rupees and when they went to collect their money upon maturity of the fixed deposit, they learnt that the investors had shut down the company. 8 people have been accused of this fraud. Mukesh Modi, Virendra Modi, Ishwar Singh Singhal, Rahul Modi, Manohar Lal Menaria, Rituraj and Balwant Singh Chauhan have been accused of fraud by Khudiram Gangwar and his daughter Chintan. AS per the complaint in Bhupalpura police station, the society gave plenty of assurances based on which the Gangwar family invested in 2 FDs worth 1.37 crores and 23.65 lakhs. At the time of maturity of these FDs they went to claim their maturity amount but the society organisers closed down the office and did not return a single penny till date. There have been several cases of fraud against this credit coperative society. Public invested and lost their hard earned money not realising that the credit society would play such a fraud with the investors. The society has been accused of fraud of more than 14 thousand crore rupees and the investors are crying over the lost money. Source: https://udaipurtimes.com/ ED attaches assets worth Rs 1,489 cr in Adarsh cooperative society fraud case The statement said the probe so far has found that Adarsh Group’s MD, Mukesh Modi, allegedly in collusion with his relatives Virendra Modi, Rahul Modi and other associates, siphoned off depositors’ funds from ACCSL by way of inter-linked fraudulent transactions.INDIA Updated: Oct 08, 2019, 02:52 IST New Delhi: Rajasthan police’s special operation group (SOG) in May arrested 11 people, including ACCSL chairman Ishwar Singh Sindhal, for allegedly siphoning off over Rs 1,400 crore of investors’ funds. The Enforcement Directorate (ED) on Monday attached properties worth Rs1,489 crore in connection with the Adarsh Credit Cooperative Society Ltd (ACCSL) fraud, the agency said in a statement. Rajasthan police’s special operation group (SOG) in May arrested 11 people, including ACCSL chairman Ishwar Singh Sindhal, for allegedly siphoning off over Rs 1,400 crore of investors’ funds. The company ran Ponzi schemes and allegedly duped over 20 lakh depositors, the SOG said in May. The ED initiated a money laundering probe in the case on the basis of Rajasthan police’s First Information Report. The statement said the probe so far has found that Adarsh Group’s MD, Mukesh Modi, allegedly in collusion with his relatives Virendra Modi, Rahul Modi and other associates, siphoned off depositors’ funds from ACCSL by way of inter-linked fraudulent transactions. “Mukesh Modi, his relatives and associates incorporated several companies/firms/Limited Liability Partnerships (LLPs) for sole purpose of diverting funds from ACCSL to their real estate business by way of availing fraudulent loans.” It said the properties were attached after the probe found that the office bearers of ACCSL were involved in money laundering. The attachments include land worth Rs 1,464 crore in Rajasthan, Haryana, New Delhi, Gujarat, Maharashtra and Uttar Pradesh, and bank deposits amounting to Rs 24.44 crore. The ED said Mukesh also allegedly infused huge proceeds of crime as share capital from the ACCSL. “...The actions of Mukesh Modi and others caused ACCSL huge loss to the tune of around Rs 4,000 excluding interest charged by ACCSL on purported borrowings. Thus proceeds of crime were generated as a result of criminal activity.” Source: https://www.hindustantimes.com/ Jodhpur: 14 हजार करोड़ रुपयों की ठगी के 11 आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने 5 दिन के रिमांड पर सौंपा जोधपुर. आम आदमी की गाढ़ी कमाई के साढ़े 14 हजार करोड़ रुपए डकारने वाली आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले (Adarsh Credit Co-operative Society scam) के 11 आरोपियों को जोधपुर की खाण्डा फलसा थाना पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार (Arrested) किया है. पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश उन्हें रिमांड (Remand) पर लिया है. पुलिस अब उनसे पूछताछ में जुटी हुई है. पुलिस के अनुसार जोधपुर शहर के खाण्डा फलसा पुलिस थाने में आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 19 मामले दर्ज हैं. इसी के चलते खाण्डा फलसा थाना पुलिस ने आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के 14 आरोपियों को जयपुर से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया है. ये सभी आरोपी पिछले 18 माह से जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद थे. इन आरोपियों को लाया गया है प्रोडक्शन वारंट पर खाण्डा फलसा थानाधिकारी दिनेश लखावत ने बताया कि करोड़ों रुपए के आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में समीर मोदी, रोहित मोदी, वीरेंद्र मोदी, प्रियंका मोदी, राजेश्वर सिंह, विवेक पुरोहित, भरत दास, वैभव लोढ़ा, ईश्वर सिंह और ललिता राजपुरोहित को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में मुकेश मोदी और राहुल मोदी को दूसरी जगह पुलिस पूछताछ के लिये ले जाए जाने के कारण फिलहाल उन्हें यहां नहीं ला सका है. आरोपियों को 5 दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा गया है थानाधिकारी दिनेश लाखावत के अनुसार उन्हें जल्द यहां लाया जाएगा. वहीं इसी मामले में एक अन्य आरोपी कमलेश चौधरी अंतरिम जमानत पर है. अब खाण्डा फलसा थाना पुलिस इनसे पूछताछ कर करोड़ों रुपए के घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए पूछताछ करेगी. सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट ने सभी आरोपियों को 5 दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा है. पुलिस उनसे कड़ी पूछताछ करने में जुटी है. Source: https://hindi.news18.com/ Centre Shuts Operations Of Scamster Mukesh Modi’s Adarsh Co-Operative SocietyIn what seems to be an exceptional decision, the Modi Government on Friday (29 November) ordered the multi-crore Adarsh Credit Co-operative Society Ltd (ACCSL), led by influential businessman Mukesh Modi, to wind up its operations across India.Involved in a gigantic scam totalling Rs 9474 crore, ACCSL allegedly siphoned majority funds of its over 20 lakh depositors. Documents in possession of IANS reveal that on the basis of a confidential report of Serious Fraud Investigation Office (SFIO) and Income Tax Department, the Central Registrar of Cooperative Societies directed to wind up the ACCSL, registered as inter-state society with Union Agriculture Ministry's Cooperative Society division. Mukesh Modi, reportedly linked with top politicians, has been accused by SFIO of diverting huge funds to shell companies owned by his aides in the garb of loans to be invested in real estate. The order of Central Registrar of Co-operative Society (CRCS) Vivek Agrawal says Mukesh Modi, founder of the society, was linked with 120 private companies. Out of these 120 shady companies, 43 were given loans worth over Rs 2334.30 crore from the society. These companies turned out to be shell companies having no business activities at their given addresses. The SFIO and Income Tax department had earlier submitted a report with Agriculture Ministry which says that "total deposits collected by Mukesh Modi (ACCSL) was Rs 9,474 crore". The loans and advances amounting to Rs 12,433 crore were outstanding. The report further reveals that loan amounting to Rs 12,406 crore were sanctioned to 180 companies and individuals out of which 122 companies were completely controlled and managed by Mukesh Modi family and his relatives, the report said. It mentions that several depositors of the ACCSL in their statement have revealed that the money deposited by them was not reflected in their passbook. During the enquiry, it was found that the books of accounts were manipulated and deposits were shown as loans. The order of CRCS says the society can disburse loan to its members. However, in this case Mukesh Modi's team extended loans to companies which cannot become a member of the society. ACCSL had 800 branches in the country and had collected an amount of Rs 9349.50 crore till 31.03.2018. The SFIO in its report has said a major chunk of the deposits were found to be invested in shell companies of Mukesh Modi and their family members. The order says that Mukesh Modi failed to provide any satisfactory explanation for the irregularities. Modi's Society was found to indulge in misuse of funds of its members for personal gains and had violated co-operative principles and provisions of the Multi State Cooperative Societies Act 2002. ACCSL was in the news last year when SFIO initiated a probe into its management and later arrested Mukesh Modi, managing director of the society in December 2018. During investigation it was found that the Modi family and their aides invested 99% of the money obtained through 20 lakh depositors in 180 loan accounts of shell companies. When the accounts of Adarsh Co-operative Society Limited (ACCSL) were checked, it was found that the value of the properties of shell companies was shown multiple times higher than the actual amount. Cases have also been registered in different states against Mukesh Modi, his family members and officials of the company's various branches located across India. Source: https://swarajyamag.com/ आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के अभिकर्ताओं ने एसडीएम व डीएसपी को दिया ज्ञापन : आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी इटावा के अभिकर्ताओं व पीड़ित निवेशकों ने सोमवार को एडवाइजर वेलफेयर एसोसिएशन ट्रस्ट राजस्थान के माध्यम से एसडीएम रामावतार बरनाला व डीएसपी शुभकरण खींची को ज्ञापन साैंपा।इसमें सोसायटी पर लगे परिसमापक (लिक्वीडेटर) की नियुक्ति के आदेश को वापस लेने, समिति में प्रशासक की नियुक्ति की जाकर समिति की आम सभा बुलाकर, सदस्यों में से समिति के नए संचालक मंडल का गठन करके समिति वापस चालू कर अंकेक्षण कार्य पूरा कर ऋण वसूली की कार्रवाई अविलम्ब शुरू करके ऋण की वसूली से निवेशकाें काे भुगतान करने की मांग की गई। ज्ञापन देने वालों में एडवाइजर नरेश गुप्ता, महावीर राठौर, आशीष गौतम, धनराज पारेता, ललित गुलाटी, भुवनेश सैन, मनोज मीना, मधुसूदन गौड़, निवेशक बुद्धिप्रकाश शर्मा, ओमप्रकाश वर्मा, चंद्रभान मीना व चंद्रशेखर जैन शामिल थे। Source: https://www.bhaskar.com/, Rajasthan: अशोक गहलोत बोले, लोगों की जमा पूंजी हड़पने वाली क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों पर कसें शिकंजा जयपुर, जेएनएन। Rajasthan: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि लोगों की खून-पसीने की कमाई हड़पने वाली क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों से निवेशकों का पैसा दिलाने के लिए संबंधित एजेंसियां कानूनी प्रावधानों का अध्ययन कर आवश्यकता के अनुरूप उनमें बदलाव करें। यह एक ऐसा गंभीर मामला है, जिसके कारण लाखों लोगों को मेहनत से कमाया पैसा गंवाना पड़ा। हमारा प्रयास है कि निवेशकों को उनका पैसा और अपराधियों को सजा मिले। गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के संबंध में समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव ढाणी तक इन सोसायटियों ने अपना जाल बिछाकर गरीब लोगों को ठगा है, भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों यह सुनिश्चित करने के साथ-साथ वर्तमान प्रकरणों में एसओजी, सहकारिता विभाग आदि प्रभावी कार्रवाई अमल में लाएं। राज्य की एजेंसियां इसके लिए केंद्रीय एजेंसियों से भी समन्वय करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसओजी इन प्रकरणों में त्वरित अनुसंधान कर निष्कर्ष तक पहुंचे और पता लगाए कि आखिर निवेशकों का पैसा किस तरह खुर्द-बुर्द किया गया, ताकि उस पैसे को वापस दिलाने के लिए आगे की कार्रवाई की जा सके। केवल ’राज सहकार पोर्टल’ पर ही आदर्श, संजीवनी, नवजीवन, सहारा सहित अन्य मल्टी स्टेट सोसायटीज तथा स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटीज के विरुद्ध पैसा हड़पने की 75 हजार से अधिक शिकायतें प्राप्त होना यह बताता है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों के साथ खिलवाड़ हुआ है। हमारा दोहरा दायित्व है कि एक तरफ जहां अपराधियों को जेल भेजवाएं और निवेशकों को उनका पैसा दिलाएं। गृह, सहकारिता, वित्त व अन्य संबंधित विभाग मिलकर प्रदेश में ऐसा सिस्टम विकसित करें, जिससे अनरेगुलेटेड (अनियमित) जमा स्कीम्स को हतोत्साहित किया जा सके, ताकि कोई भी अवैध सोसायटी अधिक ब्याज का लालच देकर लोगों से पैसा न हड़प सके। लोगों को ऐसी सोसायटियों से बचाने के लिए जागरूक भी किया जाए। बैठक में एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक अशोक राठौड़ ने बताया कि सोसायटीज द्वारा ठगी के विभिन्न थानों में डेढ़ हजार से अधिक केस दर्ज हैं। ऐसे कई प्रकरणों में एसओजी भी तफ्तीश कर रहा है और कई अभियुक्ताें को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजने में भी सफलता मिली है। हमारा प्रयास है कि फोरेंसिक ऑडिट के माध्यम से पैसे के हस्तांतरण की अंतिम कड़ी तक पहुंचा जाए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां मुक्तानंद अग्रवाल ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि राज्य सरकार के प्रयासों के कारण केंद्र ने मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों के विरूद्ध दर्ज शिकायतों में इस्तगासे पेश करने के लिए राज्य सरकार के रजिस्ट्रार, सहकारी समितियों को अधिकृत कर दिया है। इससे केन्द्रीय रजिस्ट्रार के यहां पंजीकृत मल्टी स्टेट सोसायटियों पर राज्य में भी कार्रवाई की जा सकेगी। बैठक में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, सहकारिता राज्य मंत्री टीकाराम जूली, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा, प्रमुख शासन सचिव कृषि व सहकारिता कुंजीलाल मीणा, प्रमुख शासन सचिव विधि विनोद भारवानी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। Source: https://www.jagran.com/ |